पुष्पा अब मजदूर नहीं रह गया है, वह चंदन तस्करी के सिंडिकेट का बॉस बन गया है।

वह अब चित्तूर का सबसे पावरफुल व्यक्ति बन चुका है। उसके चाहने ना चाहने से सीएम बनते और हटते हैं।

वहीं, एसपी भंवर सिंह और मंगल सीनू और पत्नी दक्षा भी बेइज्जती का बदला लेने की फिराक में हैं।

भंवर और पुष्पा में सुलह के लिए सिद्धाप्पा पहल करता है, लेकिन पुष्पा के उसूल मैं झुकूंगा नहीं के कारण उसकी यह पहल फेल हो जाती है।

वहीं, अभय, निहार, मोहित हर्षिल ने कहा कि फिल्म यूं तो अच्छी थी, लेकिन कुछ जगह डिप करने के कारण लेंथ थोड़ी ज्यादा लगी।

इसी तरह, प्रभा, शालिनी, अमात्य और विनोद को फिल्म ठीक लगी।

पुष्पा के रोल में अल्लू अर्जुन फायर ही रहे। भंवर सिंह के किरदार में फहाद ने तो श्रीवल्ली के रोल में रश्मिका भी अच्छे थे। जगपति बाबू के आने से फिल्म और ग्रैंड हो गई।

प्रतीक्षा, वैभवी, चित्रांशी पर रोशनी को फिल्म फुल टू साउथ मसाला लगी, जिसमें शानदार फाइट, ठीक स्टोरी और अच्छी एक्टिंग थी।